यूपी पंचायत चुनाव 2026: प्रत्याशी पर FIR दर्ज होने के बाद चुनाव लड़ सकता है या नहीं? जानें क्या कहता है कानून?

यूपी पंचायत चुनाव 2026, (Source; Meta AI)

यूपी पंचायत चुनाव 2026 को लेकर हलचल तेज हो गई है। पंचायत चुनाव को लेकर एक सवाल बार-बार उठता है कि क्या किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज है तो क्या वह पंचायत चुनाव लड़ सकता है? इस सवाल का जवाब कानून और संविधान दोनों के दायरे में मौजूद है। एफआईआर दर्ज होने मात्र से कोई व्यक्ति पंचायत चुनाव लड़ने से अयोग्य नहीं होता, जब तक कि उसे न्यायालय से दोषी सिद्ध न किया गया हो।

क्या कहता है संविधान और कानून?

  • भारतीय संविधान के अनुसार, चुनाव में अयोग्यता (Disqualification) के आधार दोष सिद्धि (Conviction) पर तय होते हैं, न कि केवल एफआईआर या चार्जशीट दाखिल होने पर।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243F (Article 243F) यह स्पष्ट करता है कि कोई भी व्यक्ति पंचायत सदस्य बनने के लिए अयोग्य तभी माना जाएगा:
  • यदि वह विधि द्वारा निर्धारित अयोग्यता की श्रेणी में आता हो।
  • यदि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी करार दिया गया हो और सजा सुनाई गई हो, खासकर दो साल या उससे अधिक की।

FIR का मतलब दोष सिद्ध नहीं

एफआईआर (FIR) का अर्थ है कि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप लगाया गया है और इसकी जांच शुरू होनी है। लेकिन जब तक कोई व्यक्ति न्यायालय द्वारा अपराधी सिद्ध नहीं किया जाता, तब तक वह निर्दोष माना जाता है। इसी कारण, एफआईआर दर्ज होने के बावजूद चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं है।

प्रासंगिक केस:

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि चार्जशीट या एफआईआर चुनाव लड़ने के अधिकार को प्रभावित नहीं करती। जब तक सजा नहीं मिलती, तब तक व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है।

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उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1947

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों से संबंधित नियम UP Panchayat Raj Act, 1947 में वर्णित हैं। इस अधिनियम में भी केवल दोष सिद्धि के आधार पर अयोग्यता तय की गई है।

चुनाव आयोग की स्थिति

भारत निर्वाचन आयोग या राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) भी इसी नियम का पालन करते हैं। आयोग एफआईआर के आधार पर किसी उम्मीदवार का नामांकन रद्द नहीं करता जब तक वह अदालत से दोषी सिद्ध न हो जाए।

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महत्वपूर्ण बातें

  • यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ सिर्फ एफआईआर दर्ज है, तो वह यूपी पंचायत चुनाव लड़ सकता है।
  • यह अधिकार उसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243F और उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1947 के तहत प्राप्त है।
  • दोष सिद्धि या न्यायालय की सजा होने की स्थिति में ही वह अयोग्य माना जाएगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)…

प्रश्न: क्या एफआईआर दर्ज होने पर कोई व्यक्ति यूपी पंचायत चुनाव लड़ सकता है?
उत्तर: हां, जब तक व्यक्ति को अदालत द्वारा दोषी सिद्ध नहीं किया जाता, तब तक वह पंचायत चुनाव लड़ सकता है। एफआईआर केवल आरोप है, दोष सिद्धि नहीं।

प्रश्न: एफआईआर और दोष सिद्धि में क्या अंतर होता है?
उत्तर: एफआईआर केवल किसी अपराध की शिकायत होती है और जांच की शुरुआत है, जबकि दोष सिद्धि का मतलब है कि अदालत ने व्यक्ति को अपराधी करार दिया है।

प्रश्न: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद पंचायत चुनाव की योग्यता तय करता है?
उत्तर: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243F पंचायत चुनाव के लिए योग्यता और अयोग्यता का आधार तय करता है।

प्रश्न: किस स्थिति में पंचायत चुनाव के लिए कोई उम्मीदवार अयोग्य माना जाएगा?
उत्तर: जब किसी उम्मीदवार को अदालत द्वारा दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तब वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाता है।

प्रश्न: क्या यूपी पंचायत चुनाव में उम्मीदवार की चार्जशीट पर भी रोक लगती है?
उत्तर: नहीं, सिर्फ चार्जशीट दाखिल होने से कोई उम्मीदवार चुनाव लड़ने से अयोग्य नहीं होता, जब तक कि उसे दोषी न ठहराया गया हो।

स्रोत (Sources):
भारत का संविधान-अनुच्छेद 243F
उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1947 (UPPRA)
सुप्रीम कोर्ट: Union of India vs. Association for Democratic Reforms (2002)
चुनाव आयोग दिशा-निर्देश