उत्तर प्रदेश में फतेहपुर के औंग क्षेत्र में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। निर्धारित खतरे का निशान 100.86 मीटर है। जबकि गुरुवार को यह 100.88 मीटर पर पहुंच गया। जलस्तर बढ़ने से मलवां ब्लॉक के सदनहा, जाड़े का पुरवा, बिंदकी फार्म और मदारपुर गांवों में बाढ़ (Fatehpur flood 2025) की स्थिति बन गई है। अब ग्रामीणों को बीमारी, भूख और बर्बाद फसलों के तिहरे संकट का सामना करना पड़ रहा है।
किसान बोले– डूबने की कगार पर धान की फसल
बड़ाखेड़ा गांव निवासी किसान पंचम निषाद ने एक अखबार से बातचीत में बताया कि कुछ दिन पहले ही वह राहत शिविर से घर लौटे थे। लेकिन, अब फिर से जलभराव शुरू हो गया है। सब्जियों की फसल पहले ही नष्ट हो चुकी है। अब धान की फसल भी डूबने की स्थिति में है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई ठोस मदद नहीं मिल रही है।

गांवों में फैल रहीं बीमारियां
नयाखेड़ा गांव के लोगों ने बताया कि गांव में बुखार, खांसी और जुकाम जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। करीब 50 से अधिक लोग बीमार हैं। इलाज के लिए लोग निजी क्लीनिकों में जा रहे हैं। अब तक कोई सरकारी स्वास्थ्य टीम गांव नहीं पहुंची है। कई परिवारों को तो इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ा। वहीं मच्छरों का प्रकोप इतना बढ़ गया है कि रात भर सोना दूभर हो गया है।
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बाढ़ से मदारपुर गांव सबसे ज्यादा प्रभावित
मदारपुर गांव में हालात और भी खराब हैं। यहां पांडु नदी का पानी गांव को चारों ओर से घेर चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जलस्तर यूं ही बढ़ता रहा, तो उन्हें दोबारा महुआ घाटी राहत शिविर का रुख करना पड़ेगा। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की तैयारियां सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। न तो राहत सामग्री पर्याप्त है, न स्वास्थ्य सेवाएं, और न ही जनप्रतिनिधि हाल जानने पहुंचे हैं।

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प्रशासन का दावा– राहत शिविर और कैंप लगाए गए हैं
बाढ़ प्रभारी अधिकारी एसएल वर्मा ने दावा किया कि गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए व्यवस्थाएं की जा रही हैं। राहत शिविर और कैंप लगाए गए हैं। ग्रामीणों को किसी भी तरह की समस्या नहीं होने दी जाएगी।